Prison system in India | जेल के अंदर की जिंदगी कैसी होती है

दोस्तो आज हम बात करने वाले हैं Prison system in India भारत में जेल की जिंदगी के बारे में।

जेल के अंदर की जिंदगी कैसी होती है Prison system in India

  • जेल राज्य सरकार के अधीन काम करती है।
  • जेल की पुलिस बाहर की पुलिस से अलग होती है।
  • कैदी जब जेल में जाते हैं तो उन्हे सीधे ही नम्बर नहीं दिया जाता है।
  • जब उनकी सजा मुकर्रर हो जाती है तब उन्हें नम्बर दिया जाता है।
  • कुछ दिन की सजा के लिए मुजरिम को जेल की ड्रेस और नम्बर दोनों नहीं मिलते हैं।
  • सजा मुकर्रर होने के बाद मुजरिम को बैरक एलॉट किये जाते हैं।
  • भारत के अलग-अलग राज्यों में कैदी के खाने पर अलग-अलग खर्च किया जाता है।
  • अगर बात करें औसत की तो एक कैदी पर औसतन रोजाना 52 रूपये उसके खाने पर खर्च किया जाता है।
  • जेल में नाश्ता सुबह 7ः00 बजे आ जाता है जिसमें चाय और उसके साथ चने या ब्रेड या दलिया या बिस्किट दिया जाता है।
  • लंच यानि दोपहर का खाना 11-12 बजे तक आ जाता है।
  • लंच में 4 रोटी, दाल-चावल और एक सब्जी दी जाती है।
  • रात के खाना आपको शाम 5ः00 बजे मिल जाता है अब वो मुजरिम पर निर्भर है कि उसे खाता किस वक्त है क्योंकि वहां खाने को गर्म करने का कोई हिसाब नहीं होता है।
  • रात के खाने मेंं 4 रोटी, दाल और एक सब्जी दी जाती है।
  • जेल में कैंटीन भी होता है जहां से आप अपनी जरूरत की चीजों को खरीद भी सकते है।
  • जेल में जब जाते हैं तो कुछ पैसे लेकर जाते हैं वो पैसे सीनियर कैदी छीन सकते हैं इसलिए पैसों को कूपन से बदल दिया जाता है।
  • कहने का मतलब ये के जेल मे बाहर की करैंसी की जगह जेल के कूपन काम में लिये जाते हैं।
  • इन कूपन को वही यूज कर सकता है जिसको ये एलॉट हुए हैं क्योंकि उसमें कैदी की डिटेल डाली रहती है।
  • ये कूपन 2, 5, 10 और 20 रूपये के होते हैं।
  • एक कैदी ज्यादा से जयादा 2000 रूपये के ही कूपन रख सकते हैं।
  • कैश मिलने पर वो आपसे जब्त कर लिये जायेंगे और आपकी सजा बढा दी जाएगी।
  • जेल में कैदी से मिलने जा सकते हैं उसके लिए कैदी का नाम, पिता का नाम और जेल नम्बर पता होना जरूरी है।
  • कैदी से मिलने लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते है।
  • ऑनलाइन के साथ-साथ आप जेल में जाकर ऑफलाइन फॉर्म भी भर सकते हैं जिसके लिए आपको निर्धारित चार्ज देना होता है।
  • मिलने के दौरान आप कैदी के लिए सामान भी ले जा सकते हैं जो जांच के बाद कैदी तक पहुंचा दिया जाता है।
  • मिलने का समय सुबह 10ः00 बजे से दोपहर 3ः00 बजे तक होता है।
  • कैदी से आप सप्ताह में 3 बार ही मिल सकते हैं।
  • जेल के अंदर स्टडी रूम यानि लाइब्रेरी होता है जहां आप पढ सकते हैं और इग्नु से सर्टिफिकेट भी ले सकते हैं।
  • जेल के अंदर कैदी को काम खुद ही करना होता है।
  • जेल में माली, खेती, फैक्ट्री और खाना पकाने का काम होता है।
  • खाना पकाने का काम सबसे कठिन होता है।
  • फैक्ट्री वाला काम उसी को दिया जाता है जिसे कोर्ट ने सजा सुना दी है।
  • काम के बदले आपको रोजाना 20 रूपये दिये जाते हैं।
  • अगर आप काम नहीं करेंगे तो आपको पैसे देने होंगे, जिसे हाता कहते हैं।
  • अगर आप काम करते हैं तो आपको खाना थोड़ा अच्छा मिलता है लेकिन अगर आप काम नहीं करते तो आपको खाना हिसाब से ही दिया जाता है।
  • लोगों में यह प्रचलित है कि जेल में दिन 12 घण्टे का होता है लेकिन ऐसा नहीं है।
  • जेल में भी दिन 24 घंटे का ही होता है।
  • कुछ लोगों को लगता है कि उम्रकैद में आदमी 14 साल में छुट जाता है लेकिन ऐसा नहीं है।
  • उम्रकैद का मतलब आजीवान कारावास यानि आपको जिंदगी भर जेल में ही रहना है।
  • संविधान के अनुसार 14 साल की सजा के बाद राष्ट्रपति या राज्यपाल आपकी सजा को माफ कर सकते हैं।
  • जब जज फांसी की सजा सुनाता है तो कलम तोड़ देता है वो यह बताने के लिए कि अब हम भी इस सजा को नहीं बदल सकते।
  • जब फांसी की सजा दी जाती है तब जज लिखता है to hang till death यानि लटकाओ तब तक जब तक मर न जाये।
  • फांसी अक्सर सुबह ही दी जाती है।
  • फांसी की सजा देने से पहले उससे आखरी ख्वाहिश पूछी जाती है जिसमें वो पंसद का खाना खाने, रिश्तेदारों से मिलने या धार्मिक ग्रंथ को पढने का बोल सकता है।
  • इससे अधिक उसकी कोई ,ख्वाहिश पूरी नहीं की जाती है।
  • फांसी के बाद कैदी की बॉडी पॉस्टमार्टम के बाद घर वालों का भेज दी जाती है।

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